शिक्षक से राष्ट्रपति बनने तक का सफर
महामहिम नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जी को हार्दिक बधाई व अभिनंदन।
Odisha राज्य के मयूरभंज में 20 जून 1958 को जन्मी दलित आदिवासी द्रौपदी मुर्मू जी ( Dropadi Murmu Ji ) ने भारत की प्रथम नागरिक और राष्ट्रपति पद को सुशोभित किया है। यह दलित आदिवासी समाज के लिए बहुत ही सम्मान का क्षण है उन्होंने अपनी मेहनत, काबिलियत और निष्ठापूर्वक जनसेवा से आज यह गौरवशाली मुकाम पाया है।
भारत की 15 वीं महामहिम राष्ट्रपति बनने के लिए बहुत-बहुत बधाई व हार्दिक अभिनंदन। मुर्मू जी ने एक शिक्षक से लेकर सफल आदिवासी राजनीतिज्ञ के रूप में अद्वितीय कार्य किए हैं। झारखंड राज्य के गठन के बाद लगातार पांच साल झारखंड राज्य की राज्यपाल बने रहना भी बहुत बड़ी उपलब्धि है जो मुर्मू जी को मिली है। जीवन में इतने कठिन उतार-चढ़ाव को पार करते हुए भी निरंतर निष्ठापूर्वक जन सेवा के कार्य क्षेत्र में सक्रिय रहीं यह बहुत ही गौरवशाली व प्रेरणा स्त्रोत है।
महिलाओं के लिए मुर्मू जी का व्यक्तित्व बहुत ही प्रेरणादायी है। उन्होंने महिलाओं के लिए मिसाल कायम की है सफलता की नई इबारत लिखी है। गौरतलब है कि महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते हुए भी कहीं ना कहीं उपेक्षा, असमानता व उत्पीड़न की शिकार होती हैं। ऐसे में एक आदिवासी समुदाय से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने का सफर तय करने वाली मुर्मू जी वास्तव में महिलाओं के लिए व सर्व समाज के लिए मिसाल हैं। मुर्मू जी को यह बहुत सुनहरा अवसर मिला है कि जिस तरह उन्होंने आदिवासी राज्यों के लिए श्रेष्ठ किए उसी तरह संपूर्ण देश में दलित उत्थान के लिए श्रेष्ठ कार्य करें और सर्व समाज को एकता के सूत्र में बांधकर चलें गरीबों पीड़ितों के साथ निष्पक्ष न्याय होना चाहिए संविधान के अनुरूप जनता की सेवा करें।
संविधान की रक्षा करें व सम्मान करें। चूंकि भारत के राष्ट्रपति पद को सुशोभित करने की उपलब्धि भारतीय लोकतांत्रिक संविधान की ही देन है। देश को उन्नति व समृद्धि के मार्ग पर निरंतर अग्रसर करें। उपेक्षित है कि अपने व्यक्तित्व के अनुरूप मुर्मू जी राष्ट्रपति पद को सुशोभित करते हुए देश के प्रति सभी कर्तव्यों पर खरी उतरेंगी।
जय हिंद जय भारत।
भवदीय/लेखक
डॉ मुन्नालाल भारतीय
समाज सेवी
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