यह कैसा आजाद भारत ?
क्या यही आजादी का अमृत महोत्सव है जहां आज पूरा भारत आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर खुशियां मना रहा है। वहीं राजस्थान के जिले जालौर के एक विद्यालय में एक आठ साल के मासूम बच्चे द्वारा शिक्षक के मटके से पानी पी लेने पर शिक्षक ने उस बच्चे को इतनी क्रूरता से मारा कि उसकी मृत्यु हो गई। क्या उस बच्चे का यह कसूर था कि वह निम्न जाति का था और बच्चे का शिक्षक के उस मटके से पानी पीने पर पानी का मटका अछूत हो गया था जिस कारण शिक्षक ने मासूम को इतनी बेरहमी से मारा कि उसकी जान चली गई क्या यह वही आजाद भारत हैैैै?
जिसका सपना देश के कर्णधारों ने देखा था। आजादी से अब तक कितनी सरकारें आई और गई पर जातिवाद की तस्वीर नहीं बदली। क्यों आज तक इस देश में जातिवाद फल फूल रहा है इतने सारे कानून बनने के बाद भी देश आज जातिवाद की अग्नि में जल रहा हैै? देश को आजाद कराने में जो शहीद हुए अगर उन्होंने आपस में जातिभेद किया होता तो क्या भारत आज आजाद होता? देश के कर्णधारों ने अपना खून बहा कर अंग्रेजों से तो आजादी दिला दी लेकिन उन्हें क्या पता था कि आजादी के बाद भी यह देश आजाद होकर भी जातियों के नाम पर भारत में ऐसा जुल्म और सितम ढहाएंगे।
समानता का पाठ पढ़ाने वाला शिक्षक ही ऐसा शर्मनाक कार्य करेगा तो किसी और से तो क्या उम्मीद की जा सकती है इन लोगों में कानून का कोई डर नहीं है यह निर्भय होकर ऐसा कृत्य करते हैं जाति का भेद रखकर अपराध करने वाले शिक्षक और लोगों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए कि देश में एक मिसाल कायम हो आजादी के अमृत महोत्सव पर जातिवाद की जड़ें देश से हमेशा के लिए समाप्त हो जाएं।
0 Comments