73 वे स्वतंत्रता दिवस पर विशेष | आजादी के मायने


आजादी के मायने

 


डा० मुन्नालाल भारतीय के मतानुसार देश के उन कर्णधारों को शत्-शत् नमन जिन्होंने हमारे देश को अंग्रेजों की गुलामी की जंजीर से मुक्त कराकर आजादी दिलायी। आज हमारे देश को आजाद हुए 73 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। हमारे देश के कर्णधारों ने देश को आजाद कराने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया और देश के प्रत्येक नागरिक को सम्मानपूर्वक व स्वतन्त्रतापूर्वक जीवन जीने का अधिकार प्रदान किया। परन्तु फिर भी आज तक हमारे देश के गरीब तथा पीड़ित व्यक्ति सम्मानपूर्वक तथा स्वतन्त्रतापूर्वक जीवन जीने के अधिकार से वंचित हैं। 

आजादी मिलने के इतने वर्ष गुजर जाने के बाद भी तथा देश के प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार प्राप्त होने के बावजूद भी गरीबों तथा पीड़ितों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है।  उनका शोषण किया जाता है। फिर चाहे वह पीड़ित पुरुष हो अथवा महिला ही क्यों न हो ।

 महिलाओं को सम्मानपूर्वक जीवन जीने के लिए चाहे कितने ही अधिकार क्यों न प्रदान कर दिये जायें परन्तु फिर भी उन पर होने वाले उत्पीड़न पर अंकुश नहीं लग पा रहा है बल्कि उनके साथ हद दर्जे का अमानवीय व्यवहार किया जाता है। आये दिन महिलाओं के साथ बलात्कार, दहेज के लिए हत्या तथा आत्महत्या जैसे अपराध के लिए विवश करना, जलाकर मार डालने जैसे अमानवीय कृत्य को अंजाम दिया जाता है। 

बल्कि पुलिस द्वारा भी महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है । इसी कड़ी में शोषण और अमानवीय व्यवहार पुरुषों के साथ भी हद दर्जे का किया जाता है। किसी भी पीड़ित की आवाज तथा प्रार्थना पत्र शासन और प्रशासन के कितने ही बड़े अधिकारियों तक पहुँचा दिये जाये और कितने ही स्पष्ट आदेश कर दिये जायें लेकिन प्रार्थना पत्र थाने आते-आते इतनी दम तोड़ चुके होते हैैं कि उनको न्याय मिलना तो कोसों दूर बल्कि थाने में रिपोर्ट तक नहीं लिखी जाती हैं तथा उन आदेशों को रद्दी की टोकरी में डालकर बलहीन कर दिया जाता है। 

आखिर में पीड़ित थकहार कर न्याय पाने की आस छोड़ देता है और घर बैठ जाता है और अपराधी चाहे कितने ही बड़े अपराध को अंजाम दे फिर भी वह पुलिस के संरक्षण में खुद को महफूज रखकर खुलेआम घूमता रहता है। कभी-कभी तो ऐसा होता है कि पीड़ित को न्याय मिलना तो दूर उन्ही पीड़ितों को अपराधी बना कर पेशकर दिया जाता है। इस प्रकार पीड़ितों को न्याय तो नहीं मिलता परन्तु प्रताड़ना जरूर मिलती है।

 संविधान में देश के प्रत्येक नागरिक के लिए समान अधिकार बनाये गये हैं परन्तु सभी अधिकार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं। भ्रष्टाचारी आजादी के अधिकारों को पीड़ित से छीनकर उसको न्याय दिलाने की बजाय अन्याय की खाई में धकेल देते हैं। पीड़ित उस अन्याय की खाई में छटपटाकर दम तोड़ देते हैं और आखिरी में उनके बच्चे भी न्याय से वंचित रह जाते हैं। 

हमारे देश की राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार जब तक भ्रष्टाचारियों पर लगाम नहीं लगायेगी तब तक पीड़ित न्याय से वंचित रहेगा और भ्रष्टाचारी पीड़ितों का खून पीते रहेंगे और पीड़ित दम तोड़ते रहेंगे। भ्रष्टाचारियों के मन में उन माँ-बाप के लालों के लिए जरा भी सम्मान की भावना नहीं जागती जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान देकर देश को गुलामी से आजाद करवाया। समाज में भ्रष्टाचार इस कदर अपनी जड़े जमा चुका है जिससे कि देश के लिए शहीद होने वाले शहीदों की आत्मा पर सीधा कुठाराघात होता है। 

समाज में फैल रही भ्रष्टाचार की ऑँधी को खत्म करने के युवा पीढ़ी में देशभक्ति की भावना जाग्रत होनी अत्यंत आवश्यक है। जिससे  देश की युवा पीढ़ी देश के प्रति अपने उत्तरदायित्व व कर्तव्य को  समझे । जब तक देश की युवा पीढ़ी में तथा देश के प्रत्येक नागरिक फिर चाहे गरीब हो तथा अमीर हो जब इनमें देश भक्ति की भावना, एक-दूसरे के साथ मिलजुल के प्रेम से रहने की भावना तथा आपस में सम्मान की भावना जागृत होगी तभी देश की उन्नति तथा विकास होगा।


डॉ मुन्नालाल भारतीय
 समाजसेवी
आगरा (उत्तर प्रदेश) 

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