जब धन ढूंढते हैं तो संस्कारों की उम्मीद क्यों | wedding's

जब धन ढूंढते हैं तो संस्कारों की उम्मीद क्यों ?



ज्यादातर परिवारों में लड़कों के माता-पिता लड़कों  की शादी के बाद सोचते हैं कि हमारी बहु बहुत संस्कारी गुणवान हो, बड़ों का आदर करने वाली और खाना पकाने में अन्नपूर्णा व समझदार ग्रहणी होनी चाहिए। यह कहना मेरे (डॉ मुन्नालाल भारतीय)  स्वयं के अनुभव के आधार पर है कि जबकि शादी से पहले तो लड़की के पिता से सिर्फ शादी करने के लिए पैसों का बजट पूछा जाता है ना कि लड़की के गुण और शिक्षा। न यह सब देखा जाता है कि यह सब गुण संस्कारी बहू में होने चाहिए। 

गुणों की बात तो कहीं होती ही नहीं है। बल्कि इस बात पर गौर किया जाता है कि हमारा बेटा टीचर है तो लड़की टीचर होनी चाहिए इंजीनियर है और लड़का इंजीनियर है तो लड़की इंजीनियर होनी चाहिए लड़का बैंक में है तो बैंक में ही लड़की होनी चाहिए उसके बाद बात आती है कि लड़की की लंबाई की बिना संस्कार देखे बिना बातचीत किए सिर्फ लंबाई पूछ कर कम हाइट कहकर बात को वही खत्म कर दिया जाता है। फिर कहीं जहां बात चल रही होती है वहां लड़की सुंदर और लंबी लड़की मिल जाती है तो बात आती है कि हमने इतना पैसा खर्च करके लड़का पढ़ाया है काबिल बनाया है। 

तो सोचने वाली बात यह है कि क्या लड़कियों की पढ़ाई फ्री में हो जाती है जो लड़के की पढ़ाई या नौकरी आदि के ऊपर दहेज की डिमांड करते हैं कि शादी में इतना कैश चाहिए इस ब्रांड का सामान चाहिए और शादी इतनी महंगी होनी चाहिए। लड़की का पिता अच्छे रिश्ते व बेटी के सुख की खातिर अपनी जीवन भर की पूंजी से अपनी बेटी की शादी कर देता है। और फिर सास ससुर बहू के घर आने के बाद बहु से संस्कारों की उम्मीद करते हैं कि वह हमारा सम्मान करें अब जिस लड़की की शादी में पिता ने जीवन भर की पूंजी देकर लड़के को अपनी बेटी के लिए खरीदा है 

वह बेटी खरीदे हुए लड़के के माता-पिता का सम्मान क्यों करें, इतना पैसा लेकर आयी है घर में काम क्यों करें, क्यों किसी की डाट सुने, अपने पति से क्यों अपनी हर बात न मनवाए क्यों अपनी मनमर्जी न चलाएं। इसलिए मेरा सुझाव है कि घर में ऐसी स्थिति न हो इस पर विचार कीजिए बेटे की नौकरी से मेल करने वाली लड़की देखने के बजाए लड़की शिक्षित व काबिल देखो, लड़की की सुंदरता व लम्बाई देखने की बजाए गुण देखिए, पैसा देखने की बजाए संस्कार देखिए। दहेज का लालच मत कीजिए । हर पिता अपनी बेटी के लिए शादी में अपनी सामर्थ्य से ज्यादा ही खर्च करता है।

भवदीय,
डॉ मुन्नालाल भारतीय
    समाजसेवी

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