भारत के गौरव भारत रत्न डॉ भीम राव अंबेडकर जी
भारतरत्न डॉ० भीमराव अम्बेडकर जी के 130 वें जन्मदिवस पर विशेष 14.04.2021
डॉ मुन्ना लाल भारतीय के शब्दों में डॉ अम्बेडकर का कृतित्व-
डॉ० भीमराव अम्बेडकर एक महान् राजनीतिज्ञ, शिखरस्थ अर्थशास्त्री तथा एक महान क्रान्तिकारी समाज सुधारक थे डॉ० अम्बेडकर ने अपने जीवन में जो परिस्थितियाँ झेली व भारत के नागरिकों के जीवन को एक नई दिशा प्रदान करने के लिए तथा देश को उन्नति के मार्ग पर प्रशस्त करने के लिए भारतीय संविधान का निर्माण किया यह हमारे समाज व नागरिकों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। डॉ० अम्बेडकर ने नागरिंकों को अपने मानव अधिकारों के प्रति जागरुक होने की, सम्मान से जीवन निर्वाह करने की राह दिखाई। डॉ० अम्बेड़कर का आरंभिक जीवन अपमान तिरस्कार, उपेक्षा, तथा हीनता बोध के साथ व्यतीत हुआ व डॉ० अम्बेडकर को सबसे अधिक तिरस्कार जाति लिए सहना पड़ता था। हिन्दू समाज और जाति ने डॉ० अम्बेडकर को स्वीकार किया और अस्वीकार भी किया। डॉ० अंबेडकर को हिन्दू समाज ने जब स्वीकार किया जब भारत को संविधान की आवश्यकता थी और अस्वीकार जब किया जब उन्होंने समाज परिवर्तन हेेतु हिन्दू कोड बिल को पारित करवाने के लिए प्रस्ताव रखा । हिन्दू समाज द्वारा 'हिन्दू कोड बिल' नामक विधान की अस्वीकृति के कारण 27 सितम्बर सन् 1951 को अम्बेडकर को कानून मंत्री के पद से त्याग पत्र देना पड़ा।
डॉ० अम्बेडकर जातिवाद के कारण तिरस्कार उपेक्षा सहते हुए भी हिन्दू धर्म से विशेष लगाव रखते थे। वे हिन्दू धर्म में एकता, समता, समन्वयता तथा बंधुत्व की भावना स्थापित करना चाहते थे किन्तु प्रभुत्वधारी हिन्दू अपनी विचारधारा को बदलना नहीं चाहते थे। हिन्दू धर्म में यह सब स्थिति देखते हुए उन्होंने हिन्दू धर्म त्याग करने का निर्णय लिया और 1935 में नासिक के येवला अधिवेशन में अपने धर्मान्तरण की घोषणा की तथा उन्होंने विश्वस्तरीय धर्म बौद्ध धर्म को 14 अक्टूबर सन् 1956 को धारण किया।
अम्बेडकर ने जाति प्रथा को भारतीय समाज के आर्थिक और सामाजिक विकास के मार्ग की बाधा बताया। अम्बेडकर
का कहना था कि जाति का स्वभाव विघटनकारी है। भारत के सामाजिक व आर्थिक विकास हेतु अम्बेडकर ने महत्वपूर्ण
योगदान दिया। विदेश से पढ़ाई पूरी करके स्वदेश लौटने पर अम्बेडकर ने अपने काम की शुरूआत मजदूरों के लिए
काम करने से शुरू की। श्रमिकों के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए अम्बेडकर ने सन 1936 में 'इन्डिपेन्डेन्ट लेबर
पार्टी' की स्थापना की। इस पार्टी का घोषणा पत्र मजदूरों, किसानों व निम्नवर्ग के लोगों के अधिकारों के पक्ष में है।
रिजर्व बैंक की परिकल्पना और स्थापना में अम्बेडकर का अहम योगदान है। अम्बेडकर ने निजी बैंकों की कार्यप्रणाली
का पर्यवेक्षण किया और निजी बैंकों की सरकारीकरण की मांग की। अम्बेडकर ने सभी बैंकों की व्यावसायिक कार्यप्रणाली पर 'चैक' रखने के लिए रिजर्व बैंक की स्थापना का सुझाव दिया। आज हमारे देश को डॉ० भीमराव अम्बेडकर जैसे महान क्रान्तिकारी तथा समाज सुधारक व्यक्तित्व की अंत्यन्त आवश्यकता है। जो हमारे समाज में व्याप्त बुराइयों जैसे सबसे अहम, भ्रष्टाचार, पीड़ितों को उत्पीड़न, दहेज प्रथा, जाति प्रथा तथा महिला उत्पीड़न आदि को मिटाने तथा समाज व राष्ट्र को उन्नत दिशा में अग्रसर करने हेतु अपना महत्वपूर्ण योगदान दे ।
डॉ० अम्बेडकर का राष्ट्रीय विकास हेतु कथन था "राष्ट्र के संदर्भ में राष्ट्रीयता का अर्थ होना चाहिए सामाजिक एकता की दृढ़ भावना, अन्तर्राष्ट्रीय संदर्भ में इसका आधार हो भाईचारा तथा समता, स्वतंत्रता एवं बन्धुत्व पर आधारित जीवन का ही नाम लोकतंत्र है।" देश के प्रत्येक नागरिक को अपने मानव अधिकारों के लिए जागरुक करने वाले, आत्मनिर्भर तथा सम्मान से जीने की राह दिखाने वाले महान समाज सूधारक, भारत के महानायक तथा भारतीय संविधान के निर्माता डॉ० भीमराव अम्बेडकर 6 दिसम्बर, 1956 को सदैव के लिए चिरनिन्द्रा में सो गये । हमारे समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार व मानव उत्पीड़न जैसी बुराइयाँ उन महान आत्माओं के लिए आत्यन्त दु:ख व ग्लानिपूर्ण हैं, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर देश को गुलामी की जंजीरों से आजाद कराया।
डॉ मुन्नालाल भारतीय
समाज सेवी
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